गुरुवार, 22 मार्च 2012

मृत्यु शैया पर लेटी ,
गंभीर बीमारी से पीड़ित 'माँ',
चिंतित है,
इस बात से नहीं,
'कि'
इलाज़ कैसे होगा?
'बल्कि'
इस बात से,
'कि'
मेरे बाद,
मेरे बच्चो का क्या होगा.. !!अनु!!

शनिवार, 10 मार्च 2012

Holi

रंग-बिरंगा शहर
गाड़ियों के हार्न
बहावदार आवाजें
साफ़ -सुथरे हँसते आदमी
खूशबू फैलाती औरतें
... लाल-पीला,हरा-नीला रंग
साथ में भंग
और हुडदंग...

होरी के गीत
गीत के हर कड़ी के बाद
ढोलकों की ठनक थम सी जाती !

कभी-कभी सितार की आवाज
ख़ामोशी के झटके के बाद
मध्य लय में निकलते हुये
सितार की गत उचे स्वर से उभरती

और....
निश्शब्द्ता की घाटी में
स्पष्ट अनुगूँज छोडती ,खो जाती !

बस एक 'मै'
किसी बरसाती नाले की
झुर्रीदार सतह पर
एक तिनके की
तरह, उठती गिरती बहे जा रही....

अचानक से तेज रौशनी का सैलाब
छोडती हुई ढोलकें,
मेरा पूरा अस्तित्व 'तुम'पर टिक गया ... !!

गुरुवार, 8 मार्च 2012


थोड़ा गुलाल , थोड़ा विशेष प्यार ......

 आपके अपने प्रियतम कुछ यूँ सोच रहे हैं ------------

'सोच रहा हूँ इस होली पर.. दिल के रंग निकालूँगा

रंग से रंगे बिना ही प्रियतमा .. होली यार मना लूंगा ।

एक रंग होगा आलिंगन का , शर्म से तुझको लाल करे

सतरंगी इतनी बन जाओ ..मेरा हाल बेहाल करे .....।

अबीर गुलाल दूंगा अधरों से .. तेरे सुर्ख कपोलों पर 

दिल की भाषा सुने सुनाएँ..विराम रहेगा बोलों पर

अधरों से होगा अधरों पर .. वो तो रंग निराला होगा

उसकी रंगत कभी ना उतरे ..भंग भरा वो प्याला होगा' ......

रविवार, 4 मार्च 2012

हर बार छीन ले जाता है कोई,
मेरी तकदीर, मेरे ही हाथों से,
सुना था, गिर गिर कर उठना,
उठ कर चलना ही जिंदगी है..
यूँ, गिरते उठते,
आत्मा तक लहुलुहान हो गयी है..
क्या नाकामियों की,
कोई तयशुदा अवधि नहीं होती..?? !!अनु!!