हिरोइन नहीं थी वो,
और न ही किसी मॉडल एजेंसी की मॉडल
फिर भी,
जाने कैसा आकर्षण था उसमे
जो भी देखता, बस, देखता रह जाता,
उसका सांवला सा चेहरा,
मनमोहक मुस्कान,
और आँखें..?
आँखें तो जैसे के बस,
अभी बोल पड़ेंगी,
उम्र 17 साल
गंभीरता का आवरण ओढ़े,
जिए जा रही थी..
इक अजीब सा दर्द झलकता था,
उसकी आँखों से,
खामोश रहती थी वो,
किसी को अपना राजदार
जो नहीं बनाया था उसने,
फिर मैं मिली उससे,
उसकी राजदार,
उसकी सहेली बनकर,
'उसकी कहानी '
जैसे,
जिंदगी को कफ़न पहना दिया गया हो,
अपने रिश्तेदार की शोषण की शिकार वो,
जिन्दा लोगों में उसकी गिनती ही कहाँ होती थी,
वो निर्बाध बोलती रही,
और मेरी आँखे निर्बाध बरसती...
'एक दिन'
लापता हो गयी वो,
कोई कहता, 'भाग गयी होगी',
कोई कहता, ' उठा ले गयी होगी ,
जितने मुंह , उतनी बातें,
आज अचानक उसे रैम्प पर चलता देख,
हतप्रभ रह गयी मैं,
जिंदगी ने कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया उसे,
मैं फिर चल पड़ी,
बनने उसकी राजदार,
इतनी यंत्रणा, इतनी पीड़ा,
कैसे मुस्कुराती है वो,
सब मन में समेट कर,
उसके फैक्ट्री के मालिक ने,
दुराचार किया था उसके साथ,
विरोध करने पर चोरी का इलज़ाम लगा,
जेल भेज दिया,
पर रक्षक के भेष में छुपे,
वो भेड़िये भी टूट पड़े उस पर,
उसका रोना, गिडगिडाना ,
सब ठहाकों की शोर में दब कर रह गया,
तब ठान लिया उसने,
अब नहीं रोएगी वो,
अपनी रोंदी हुई मुस्कान,
मसला हुआ जिस्म लेकर,
यहीं इसी दुनिया में रहेगी वो,
जियेगी, भरपूर जियेगी,
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और आज
वो सचमुच की हिरोइन है।
Anita Maurya...
आज 28- 09 12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... व्यस्तता नहीं , अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है .... ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
बहुत मार्मिक .... क्यों रोये भला ..... रौंदना होगा ऐसी मानसिकता वाले समाज को ।
जवाब देंहटाएंफिर से एक दर्द की कहानी
जवाब देंहटाएंjeevan mein sakhiuyon ke saath cofee piker khusi ke pal dhoondhna ek kala hai ise her koi samaznahi pata hai choti choti khusiyon ka maxza alag hai
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