पगली सी चित्कार
मंदिर के सामने हर रोज अंधेरे मे एक साया दिखता है
जब चित्कार अनसुनी की तो महसूस हुआ वो एक औरत है ।
बहुत डरी...इतना कि फिर कभी जिक्र नहीं किया किसी से
क्योकि जानती हु ऐसी औरत " पगली "कहलाती है
मिल जाती है अक्सर हर उस किनारे पर जहा नगर नहीं बसते ।
( वास्तविक अनुभूति पर आधारित )
प्रवीणा जोशी
सच्चाई
जवाब देंहटाएंDard ki kawita...
जवाब देंहटाएंसत्य ..दर्द हैं जीवन में
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