जब अस्मत लुटी,
तो बेहया कहा गया,
मर्जी से बिकी तो
वेश्या कहा गया,
'स्त्री'
हर बार सलीब पर,
क्यों तुझको धरा गया?
बेटे के स्थान पर,
जब जनती है बेटी,
या फिर औलाद बिन,
सुनी हो तेरी गोदी,
कदम कदम पर अपशकुनी
और बाँझ कहा गया,
हर बार सलीब पर,
क्यों तुझको धरा गया?
जब भी तेरा दामन फैला,
घर के दाग छुपाने को ,
जब भी तुमने त्याग किये,
हर दिल में बस जाने को,
हर प्यार और त्याग
को 'फ़र्ज़' कहा गया,
हर बार सलीब पर,
क्यों तुझको धरा गया?
पंख पसारे, आसमान को,
जब जब छूना चाहा तुमने,
रंग बिरंगे सपनों को,
जब जब गढ़ना चाहा तुमने,
आँचल में है दूध,
आँखों में पानी कहा गया,
हर बार सलीब पर,
क्यों तुझको धरा गया?
Anita Maurya
Bahut khoob
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