सखियों ये .....एक कल्पना !!! .पुलकित मन की .......
प्रथम समर्पण कैसा होगा
,
मिलन हमारा कैसा होगा,
सबल भुजा वो मेरी होगी
,
अस्तित्व समर्पित तेरा होगा,
स्पर्श प्रथम तेरे अधरों का
कपित अधरों से कैसा होगा,
सहमा और अपने में सिमटा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा,
मंद मुस्कान और नयन लजीले
कोमल कपोल पर अलक हठीले,
कल्पित ह्रदय स्पंदित होता
उद्भ्रान्तित क्षण वो कैसा होगा,
स्पर्श तुम्हारा कैसा होगा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा .........?????
प्रथम समर्पण कैसा होगा
,
मिलन हमारा कैसा होगा,
सबल भुजा वो मेरी होगी
,
अस्तित्व समर्पित तेरा होगा,
स्पर्श प्रथम तेरे अधरों का
कपित अधरों से कैसा होगा,
सहमा और अपने में सिमटा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा,
मंद मुस्कान और नयन लजीले
कोमल कपोल पर अलक हठीले,
कल्पित ह्रदय स्पंदित होता
उद्भ्रान्तित क्षण वो कैसा होगा,
स्पर्श तुम्हारा कैसा होगा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा .........?????