आज फिर ख्वाब में वो आई ...
सहेली थी मेरे बचपन की !
वो पलाश के पेड़ो से घिरे ..
मुझे मेरे स्कूल की याद आई !
वो स्कूल का मध्यांतर ...
और वो मस्ती याद आई !
वो सहेलियों संग बैठना ..
वो रूठना मनाना ...
सुन्दर चित्रों से वो ...
पेन्सिल के डिब्बे को सजाना ...
चुपके से बगिया से फूल चुराना ..
फिर वो माली की फटकार याद आई!
आज भी वो सहेली ..
बहुत याद आती है ..
ख्वाबों में मेरे वो अक्सर आती है !
काश तुम मिलती ,साथ बैठते...
बचपन के वो पल...
फिर से हम जी लेते !!
आज फिर ख्वाब ........
!!!! शोभा !!!!
wah....... bachpan ki saheli
जवाब देंहटाएंbethti hogi jab
tu bhi aaine ke samne
yaad karte hue
apne beete hue
dino ko
aaine mai apne aks k sath
tujhe kya kabhi mera bhi nazar aaya
woh chatt par hoti hamari khusar-pusar
woh ghar tak pahucha aana
ek dooze k kapre pahana'na
o! bachpan ki saheli kash tum milti
sath bethte ham fir se bachpan ko jeete
apne bachcho ke sang fir se ek dooze mai kho jate ................. thnx shobha.kuch bikhre se lafz jo hai mere pls bear it
बचपन की सहेली ,कुछ गुड की डली ,इमली की फली , जैसे फूल सी खिल कर बंद हुई कली ....शोभा जी लाजवाब ,आपने तो जैसे बचपन के बंद झरोखो को रोशनी दे दी |
जवाब देंहटाएंलाजबाब ..लेखनी ..बचपन की मीठी सी यादे ..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंहर सखी से गुजारिश ...कि अपने ब्लॉग का लिंक जरुर दे यहाँ ...ताकि हम साथ जुड सके ...आभार