कभी तुम देखना अगर जो मिल गये
कभी किस्मत से .........
मेरे लिए भी..........
कुछ वक़्त तुमको
मेरे बटुए में
कुछ फत्ते हुए कागज पर
बिंदी के पत्तो के पीछे खिची
लफ्जों की लकीरे
पंसारी के लिफाफों पर लिखी कुछ नज़्म
.............................................
सब सम्हाल कर राखी है मैंने
.. कहा लिखकर रखू इनको
यु अचानक जब ख्याल
एक शरंखला बनकर आते है मन में
में बस लिखती जाती हु
सहेजती जाती हु
किसी दिन तो होगी मेरी यह
उदासी तेरी
http://nivia-mankakona.blogspot.com/ बस इसी इंतज़ार में ................. नीलिमा शर्मा [निविया]
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