बाजरा रेगिस्तानी सूखे इलाको की पैदावार है छोटे गोल और हरे रंग महीन दाने खाने में स्वादिष्ट होते है इन्हें अक्सर गाँवो में बड़े चाव से आटा पिसवा कर रोटी बना कर गुड़ के साथ खाया जाता है सर्दियों में बाजरी की रोटी बहुत गुणकारी होती है इसे खाने से शरीर में ऊर्जा लम्बे समय तक बनी रहती है ।
बाजरी की रोटी बनाने की विधि - बाजरी के आटे में लोच कम होता है इसीलिए कम पानी के साथ गोंदा जाना बेहतर रहता है अन्यथा आटा गीला ज्यादा हो जाय तो रोटी बनाने में कठिनाई आती है इसे हाथ से थाप दे देकर बनाया जाता है रोटी बनाते समय हाथो को निश्चित शेप के साथ रोटी पर दबाव बनाते जाए तो रोटी आसानी से बन जाती है थोड़े अभ्यास के बाद बाजरे की रोटी बनने लगती है रोटी के शेप में आने के बाद इसे चूल्हे पर तवा रख कर सेंक सकते है गैस पर भी इसे बनाया जा सकता है रोटी के सिकते समय रंग बदलने के साथ सावधानी पूर्वक इसे पलट दे और रोटी में कडा पन आ जाने के बाद तवा हटा कर सीधे चूल्हे पर रख कर चिमटे की सहायता से सेक ले, रोटी सिक जाने पर इस पर देशी और गुड़ के साथ लगा कर खाये या सांगरी केर की राजस्थानी साग के साथ इसे खाया जा सकता है ।