सखियों ये .....एक कल्पना !!! .पुलकित मन की .......
प्रथम समर्पण कैसा होगा
,
मिलन हमारा कैसा होगा,
सबल भुजा वो मेरी होगी
,
अस्तित्व समर्पित तेरा होगा,
स्पर्श प्रथम तेरे अधरों का
कपित अधरों से कैसा होगा,
सहमा और अपने में सिमटा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा,
मंद मुस्कान और नयन लजीले
कोमल कपोल पर अलक हठीले,
कल्पित ह्रदय स्पंदित होता
उद्भ्रान्तित क्षण वो कैसा होगा,
स्पर्श तुम्हारा कैसा होगा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा .........?????
प्रथम समर्पण कैसा होगा
,
मिलन हमारा कैसा होगा,
सबल भुजा वो मेरी होगी
,
अस्तित्व समर्पित तेरा होगा,
स्पर्श प्रथम तेरे अधरों का
कपित अधरों से कैसा होगा,
सहमा और अपने में सिमटा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा,
मंद मुस्कान और नयन लजीले
कोमल कपोल पर अलक हठीले,
कल्पित ह्रदय स्पंदित होता
उद्भ्रान्तित क्षण वो कैसा होगा,
स्पर्श तुम्हारा कैसा होगा
प्यार तुम्हारा कैसा होगा .........?????
ज़िंदगी में एक बार उम्र के एक खास पड़ाव पर हर कोई ऐसी कल्पना ज़रूर करता है और उसी कल्पना का बहुत ही भावपूर्ण चित्रण किया है आपने अपनी इस रचना के माध्यम से बधाई एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंस्पर्श तुम्हारा कैसा होगा
जवाब देंहटाएंप्यार तुम्हारा कैसा होगा .........?????बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति.....
कल्पित ह्रदय स्पंदित होता
जवाब देंहटाएंउद्भ्रान्तित क्षण वो कैसा होगा,
खाब को खाब ही रहने दें कोई नाम न दें .
लाज़वाब! आपके ब्लॉग पर पहली बार आया और एक बहुत सुन्दर ब्लॉग से परिचय हुआ...आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव - आभार
जवाब देंहटाएं☺
जवाब देंहटाएंveerubhai,anju(anu) choudhary ji ,Kailash Sharmaji ,
जवाब देंहटाएंब्लॉ.ललित शर्माji,काजल कुमारji............आप सब का हार्दिक आभार , और आभार प्रवीनाजी का इतने सुंदर ब्लॉग से परिचय कराया .........
बहुत सुन्दर ! अति सुन्दर भाव कल्पनाओं के सहज सरल मनोहारी रूप प्रस्तुत किया है ...कोमल अहसास, भावनाओं की प्रस्तुती मन मोह लेती है, सच कहूं मेरी सबसे अच्छी पसंद है ऐसी कवितायें जो जीवन की आप धापी भरी ज़िन्दगी में कहीं खोकर रह गई थी, लगा जैसे अच्छा समय लौट आया हो , जहां कि सुकून है शान्ति है, जीवन के सच्चे अर्थ है कविता में ...धन्यवाद आपका.....अभी इतना समय नहीं या सच कहूं अभी इस समय मेरा मन शांत नहीं है इसलिए अच्छा लगते हुए भी वो अहसास नहीं हो पा रहा जो होना चाहिए ईश्वर के नजदीक पहुँचने वाला...क्योंकि तब हमको अपने आस पास कोई भी शोर सुनाई नहीं देता है, योग मुद्रा में पूछने वाला अहसास ....संडे को कोशिश करेंगे कि इस ब्लॉग को अधिकाधिक समय दें और भूल जाएँ दीन दुनिया को |
जवाब देंहटाएंRamesh Chandra Saraswat..hardik aabhaar
जवाब देंहटाएंnice one i like this blog
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