हरी तालिका तीज
सुहाग अम्बे गौरी हम सब को दीजौ सुहाग।।
हरितालिका तीज की अलग ही रौनक होती है। 🥰
साज श्रृंगार नए वस्त्र जेवर जेवरात आलता महावर आंखों में काजल मेंहदी चूड़ियां।😍😍
वैसे तो तीज कई है । पर हरतालिका सबसे कठिन मानी जाती है। तीज के एक दिन पहले नहा - खा किया जाता है। इसमें व्रती सुबह बाल धोकर स्नान करती है । सर धोने के लिए तुलसी के चबूतरे से थोड़ी मिट्टी लेकर बाल धोए जाते हैं। उस दिन बिल्कुल सात्विक एवम् सुपाच्य भोजन २ बार ही किया जाता है। शायद ये नियम अगले दिन के कठिन व्रत के लिए शरीर को तैयार करने के लिए बनाया गया होगा।
तीज में निर्जला व्रत लेकर मिट्टी से पार्थिव शिव, पार्वती, गणेश, नंदी, सर्प ,गण बनाए जाते हैं । उनकी अभिशेक पूजा दूध , दही घी शहद शक्कर से की जाती है। बेलपत्र भंग धतूरा इत्र गुलाल धतूरा आक का विशेष महत्व है इस पूजा में।प्रसाद पकवान के लिए खजूर , पिडिकिया(गुजिया) मीठी एवम् सादी पूड़ी एवम् सत्तू बनाया जाता है।
अंकुरित चने का भी महत्व है। पूजा में उपयोग किया जाता है।
हर महिला को अंकुरण ( मां बनने) की लालसा होती है।
बांस से बने डलिया में गौरी जी के लिए सारे श्रृंगार का सामान एवम् मौसमी फल एवम् पकवान सजाए जाते हैं ।
ये शिव एवम् पार्वती के मिलन की रात है । इसी व्रत के प्रभाव से गौरी को शिव मिले। अखंड सौभाग्य मिला।
तृतीया की सुबह सूर्योदय से पहले गौरी जी की विदाई(विसर्जन) होती है, फिर परायण किया जाता है। अगले वर्ष फिर से मनाने की कामना के साथ
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