महा छठ पर्व
मैं आज आपलोगो के सामने बिहार ,यूपी ,झारखंड और अब विदेशों में भी मनाया जानेवाला महापर्व छठ पूजा की महत्ता को लेकर उपस्थित हु।
बिहार मे हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाला महापर्व है। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है।छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की सुख सुबिधाये करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्ति की पूजा नही होती है।ये प्राकृतिक पूजा होती है।सारा वातावरण छठी माँ के गीत से गूंज उठता है।घर,गली और मोहल्ले भक्तिमय गीत में घुल जाता है।
त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। पहला नहाय खाय,फिर खरना, उसके कल होकर डूबते सूर्य को अरग दिया जाता है।फिर कल सुबह सूर्योदय को अरग दिया जाता है।उसके बाद पारन के साथ छठ पूजा की समाप्ति होती है।प्रसाद के रूप में खीर,रोटी,ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाये जाते है।साथ ही ऋतुफल भी शामिल हित है।इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक आमतौर पर महिलाएं होती हैं। जो महिला इस पर्व को करती है उन्हें परवैतिन कहा जाता है।हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं क्योंकि छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। छठ महापर्व के व्रत को स्त्री - पुरुष - बुढ़े - जवान सभी लोग करते हैं।
जय छठी मैया🙏🙏🙏🙏🙏
मैंने नहाय खाय से सूर्योदय अरग तक कि फ़ोटो लगाई है।
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