लेखिका- सुचरिता कल्ला
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020
कजली तीज
यह कजली तीज की पूजा की तस्वीर हैं। यह तीज राखी के तीन बाद भाद्र पक्ष की तृतीया को विवाहित और कुवारी कन्याये अपने जीवन साथी की लम्बी उम्र के लिए रखती है। यह व्रत में पुरे दिन भूखा रहकर किया जाता हैं । सूर्यास्त से पहले तक पानी पी सकते हैं। लडकिया सात झूले झूल कर पानी पीती हैं। शाम को नह कर नए कपडे पहन कर मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। चाँद के आने से पहले कजली तीज माता की कथा और नीम की टहनी की पूजा की जाती हैं। पूजा में गाय के गोबर से एक घेरा बनाते हैं जिसमे दुध और पानी की बराबर मात्रा मिलाते हैं। पूजा में सत्तू, निम्बू, नीम, लाल और सफ़ेद मोती, दिए की लॊ की परछाई देखकर सात बार बोलते हैं नीमडी में दिखो देखो जेडो ठिठो । चाँद के आने पर पूजा चाँद की पूजा की जाती हैं बाद में सत्तू जो की घी, चीनी, बेसन ,चावल , आटा को मिला कर बनाया जाता हैं , कच्चे दुध में जावन देकर निम्बू और चीनी मिला कर फेदड और फल के साथ व्रत का पारण किया जाता हैं। इस दिन महिलाये अपने पीहर ही रहती है।
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सखियों आपके बोलों से ही रोशन होगा आ सखी का जहां... कमेंट मॉडरेशन के कारण हो सकता है कि आपका संदेश कुछ देरी से प्रकाशित हो, धैर्य रखना..