अहसास..
भावनाएं..
और खुशियों की
पर्यायवाची हु मै
समजती हु खुद को
बहोत भाग्यशाली मै
क्योंकि...
"नारी हु मै".....!!
रिश्तो की परिभाषाओ से
बढ़ कर है
उसे
प्यार से निभाने का
समर्पण...
हाँ..
सब से प्यार पाने कि
लालसा
रखती हु मै
हरदम..
लेकिन
ऐसा भी नहीं कि
न पूरी हों लालसा
तो
अपने दायित्व से
मुकर जाती हु मै...
क्योंकी....
"नारी हु मै "...!!!!
मेरी ख़ुशी
तो
सब को खुशियाँ
बांटने में है,
सबके दिल में
बसने वाली
खुशियों में ही तो
मेरा बसेरा है...;
हरदम
सबकी खुशियों में
खुश रहती हु मै...
क्योंकी...
"नारी हु मै "...!!!
इसकी शुरुआत
इस दुनिया में
मेरी पहली धड़कन के
साथ हों जाती है..
और
निरंतर बहती है
जिन्दगी के
हर पड़ाव के साथ
अन्तिम धड़कन तक
अविरत
बहती चली जाती है..;
खुद को भूलके...
हर हालात में
मुस्कुराती रहती हु मै...
क्योंकी...
"नारी हु मै."...... !!!!....
कविता राठी..
कविता राठी..
नारी तुम नारायणी हो ,जगत में तुमसे बढ़कर कोई हुआ है भला ,बिरला मनुष्य ही होगा जो तुम्हारे मन को ना समझता होगा
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