सखी प्रवीणा
बिछड़ के तुझसे..
तेरे
और करीब आई हु..
डूब के तेरी
यादो के समंदर में..
कुछ हसीं लम्हे
चुन के लाइ हु..
इन लम्हों में
महसूस कर तूझे
अपने साथ
देखो ....
आज अरसे बाद
मै मुस्कुराई हु..! कविता..
बिछड़ के तुझसे..
तेरे
और करीब आई हु..
डूब के तेरी
यादो के समंदर में..
कुछ हसीं लम्हे
चुन के लाइ हु..
इन लम्हों में
महसूस कर तूझे
अपने साथ
देखो ....
आज अरसे बाद
मै मुस्कुराई हु..! कविता..
sach me....m so happy...sooo...much happy......
जवाब देंहटाएंमैं आश्चर्यचकित हूं यह जानकर कि दिल से दिल की बात बिना किसी माध्यम कैसे पहुंच जाती है। मेरे भी दिल का यही हाल है..
जवाब देंहटाएंमेरी प्यारी सखी..माना तुम हर बात में बहोत प्रवीण हों..लेकिन अहसासों की दुनिया के अपने माध्यम होते...जिसे अपने करीब जानते है..वो बिना कहे सूने..दिल से दिल की बात जान जाते है...अहसासों का दरिया हु मै...हर लहर में एक नया अहसास...जो महसूस कराएगा तुम्हे की मै हु तुम्हारे दिल के बहोत पास...
जवाब देंहटाएंkavita ko muskarane ke liye kaha bahana dhundhna padta hai..har bat me vo khushi dhundh le leti hai aur ye hi bat uske pas se sikhne jaisi hai..bahut sahi kaha kavi...
जवाब देंहटाएंwaah kavita, kya baat kahi hai..
जवाब देंहटाएं