कितने तेरे रूप है कविता...
कितने सारे तेरे रंग...;
हर अहसास को कर आत्मसात
जीबन में पल पल चलती हों संग..!!
दिल से जो देखे..पढे और समझे..
कुछ भी नहीं तुझसे बेहतर..;
खुद को भूल के जीनेवाले..
कर देते अनदेखा तुझ को भी अक्सर..!!!
सागर सी गहराई तुझमे..
उचाईयां तेरी पर्वतो से बढ़कर..;
सुख,दुःख..दर्द ..मौन और आंसू..
तुझमे आते हर शब्द छन-छनकर..!!
कवी ह्रदय की बन प्रियतमा..
तो कभी बन प्रेयसी की हलचल..
बन ममता मात- ह्रदय की..
जीती हों सब की साँसों में हर पल...!!! ...कविता राठी..
हा हा, कविता का यह रूप भी अलहदा है। कविता की कविता का सखियों की ओर से स्वागत है...
जवाब देंहटाएंwahh kavita bahut badhiya..
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