गुरुवार, 21 जुलाई 2011

खेल कर जज्बातों से मेरे ,ज़ख्म नए हर वक़्त दे गया ,,
सोचा था अब ना आयेंगे दिल की बातों में ,
ना पड़ेंगे जज्बातों में ,पर इस बार भी ये दिल पस्त हो गया ,
आज फिर कोई अपना हमें शिकस्त दे गया

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