"दहेज दोषावली" (2)
१) वे लोगन न सराहिए दहेज मांगन आय
प्रानन प्रीत पिछानिए, कन्या न आगि समाय....
२)फिरि फिरि आवैं धन घटै सो भिखारी जान.
एसन मंगत सु ब्याहिके कन्या गवाइ जान
३)बेटी दहेज न दीजिये ग्यान दिजै भरपूर
जीवन उजलै ग्यान तें, दहेज दहन तें दूर
४)चिता दहती निर्जीव को दहेज सजीउ जलाय.
मुरख हैं मा बाप वे दुषण यो उक साय.
५)इक नारी होवै सती निकला जुलूस अनेक.
अनेक जलीं दहेज तें जुलूस न देख्यौं एक..
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दहेज़ की विभीषिका का बढ़िया सार्थक प्रस्तुति हेतु आभार!
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