गुरुवार, 22 मार्च 2012

मृत्यु शैया पर लेटी ,
गंभीर बीमारी से पीड़ित 'माँ',
चिंतित है,
इस बात से नहीं,
'कि'
इलाज़ कैसे होगा?
'बल्कि'
इस बात से,
'कि'
मेरे बाद,
मेरे बच्चो का क्या होगा.. !!अनु!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. मां तो आखिर मां हैं न...
    और बेटा चिंतित होता है कि ईलाज में पैसे कितना खर्च होगा..

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  2. माँ तो माँ ही होती है जिसे हमेशा अपने आप से ज्यादा अपने घर परिवार के सदस्यों की चिंता रहा करती है खास कर अपने बच्चों की सार्थक प्रस्तुति....

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  3. मृत्यु के समीप भी माँ को अपनी नहीं बच्चों की चिंता होती है..माँ आखिर माँ होती है...

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  4. बहुत खूब लिखा !! माँ की आखिरी सांस बच्चों में ही अटकी होती है

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सखियों आपके बोलों से ही रोशन होगा आ सखी का जहां... कमेंट मॉडरेशन के कारण हो सकता है कि आपका संदेश कुछ देरी से प्रकाशित हो, धैर्य रखना..