भारत का हर प्रान्त त्यौहार से भरपूर है,मैं बिहार से हूं, बिहार में मकर संक्रांति से पर्व की शुरुआत होती है। यह संक्राति भी भारत के हर राज्य में कई नाम से मनाई जाती है पर बिहार में इसे खिचड़ी भी कहते है।
यह दिन सूर्योपासना का भी है,सुबह नहा धोकर पूरा परिवार दान की सामग्री में हाथ लगाता है,यह दान चावल दाल,हल्दी आलू तिल के लड्डू और कुछ पैसों का होता है।
फिर आरम्भ होता है नया चुड़ा के साथ खूब प्रेम से जमाई दही,आलू गोभी की सब्जी धनिया पत्ता की चटनी, मुरमुरे और तिल के लड्डू,या फिर तिलकुट।
सब परिवार बहुत प्रेम से खाते है, यह भोजन खाने के बाद पूरे दिन भूख नही लगती दिन भर धूप में बैठकर जाड़ा के उतार चढ़ाव का अंदाज लगाया जाता है।
शाम होते खिचड़ी की तैयारी।आज की खिचड़ी ऐसी वैसी खिचड़ी नही"दही पापड़ घी अचार
खिचड़ी के है चार यार"
मतलब शाही खिचड़ी।मौसमी सब्जियां भी पड़ती है,गोभी मटर धनिया पत्ता।और आलू का चोखा बिहार के खाने की जान है।
यह दिन से नए कार्य की शुरुआत होती है। शादी ब्याह की तैयारी चलती है।तेज ठंढ से रुका कारोबार चल पड़ता है।
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