आजकल टीन एज बच्चों की आत्महत्या की ख़बरें आम बात हो गयीं हैं ! टीवी और समाचार पत्रों में आये दिन ये ख़बरें हम पढतें सुनतें हैं ! फिर एक दुसरे से और खुद से प्रश्न करते हैं ......
उसने ऐसा क्यों किया ...?
ऐसा करने से पहले उसने एक बार अपने माता-पिता के बारे में क्यों नहीं सोचा ...?
उसे किसी से किसी तरह की परेशानी थी तो उसने घर में किसी से उसका जिक्र क्यों नहीं किया ..?
दोषी कौन ...?
ये सारे प्रश्न वाजिब भी हैं लेकिन ऐसी स्थिति आई क्यों , अभिवावकों को इस प्रश्न पर गंभीरता से सोचने की जरुरत है ! कहीं माँ-बाप बच्चों से जरुरत से ज्यादा आकंछायें और उम्मीद तो नहीं लगा बैठते और पूरा न हो पाने पर बच्चे को उसके लिए दोषी तो नहीं ठहराते ..?
आज एक दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्प्रधा सब पर हावी हो रही है ! इसका असर मासूम बचपन पर भी पड़ा है ! माँ-बाप पड़ोसियों और अपने मित्रों के बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ते देख , उसका उदहारण अपने बच्चे को देकर अनजाने में कहीं न कहीं व्यंग करके अपने ही बच्चे के दिल को चोट पहुचातें हैं ! अगर इम्तहान में बच्चे के अंक कम आतें हैं उसके लिए भी उसे इतना दोषी ठहराया जाता है जैसे उसने कोई अपराध कर दिया हो ! अभिवावकों को इन सब बातों से ऊपर उठाना होगा और ये समझना होगा की उनके फूल से , जिगर के टुकड़े उनका स्टेटस सिंबल मात्र नहीं हैं !
बच्चे में हार्मोनल चेंजेज़
आमतौर पर लड़कियों में 8 वर्ष और लड़कों में 12 वर्ष की आयु में हार्मोनल चेंजेज़ आने लगतें हैं ! अपने में अचानक आये शारीरिक और निजी बदलाव के कारन बच्चा चिडचिडा और विद्रोही हो जाता है ! मन में इस बदलाव से जुड़े प्रश्नों का आना भी स्वाभाविक है ! ऐसे में अगर अभिवावक का व्यवहार बच्चे से मित्रता पूर्वक नहीं है तो वो या तो अकेले ही घुटता रहेगा या फिर अपने मित्रों से ये बातें शेयर करेगा ! ऐसे में मित्र को ही अपना सबसे बड़ा करीबी मानने लगेगा ! अभिवकों को चाहिए की अपने बच्चे के अच्छे मित्र बने जिससे वो किसी भी तरह की बात आपसे बेहिचक शेयर कर सके ! स्कूल और कॉलेज में बच्चे को सभी मित्र ऐसे नहीं मिलेंगें को वो उसे सही सलाह ही दें ! कुछ मित्र बच्चे को भ्रमित भी कर सकतें हैं जिससे बच्चा किसी बुरी लत का शिकार भी हो सकता है !
बच्चों को समय दें
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय की कमीं सभी के पास है ! माता-पिता अगर दोनों नौकरीपेशा वालें हैं तो बच्चों के लिए वक़्त निकलना और भी मुश्किल हो जाता है ! फिर भी जिगर के टुकड़ों के जीवन से बढ़कर तो कुछ नहीं है ! कितनी भी व्यस्तता हो बच्चों को समय जरुर दें और ये समय आप रात के खाने के वक़्त और टीवी देखते हुए भी दे सकतें हैं ! उनसे मित्रतापूर्वक बात करें और उनकी पूरे दिन की गतिविधियों की जानकारी लें ! उनके कितने दोस्त हैं उनके भी रहन-सहन और विचारों की जानकारी लें ! उचित-अनुचित बहुत प्यार से बच्चे को समझाएं ! दिन में भी एक दो बार बच्चे को फ़ोन करके उनसे उनका हाल-चाल जरुर पूछें !
स्पर्श का महत्व
बच्चा कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए उसे कभी कभी प्यार से स्पर्श जरुर करिए ! अगर बेटा है तो कभी प्यार से उसका सर अपनी गोद में रखें उसके बालों में उंगलिया फिराएं इसी तरह बेटी को भी कभी अचानक ही गले लगायें , प्यार से उसके माथे पर किस करें ! उन्हें ये अहसास दिलाइये की वो कितने ख़ास हैं आपके लिए ! कभी-कभी दिल में बहुत प्यार होते हुए भी अभिवावक बच्चों से व्यक्त नहीं करते हैं ! जब भी वक़्त मिले अपने प्यार में बच्चे को भिगों दीजिये !
यकीन मानिये ये सब सावधानिया अभिवावक बरतेंगें तो कभी भी उनके जिगर के टुकड़े उनसे दूर जाने की भी नहीं सोचेंगें भी नहीं !
(शोभा)
बेहतरीन जानकारी आँख खोलने वाली जानकारी
जवाब देंहटाएंकिशोर वय के बच्चो को लेकर आपने बहुत बेहतरीन जानकारी दी है शोभा जी , बधाई
जवाब देंहटाएंये समस्या महामारी का रूप ले रही है , सार्थक आलेख है . आभार.
जवाब देंहटाएंgive time to your child.
जवाब देंहटाएंyah parents should always be there to listen,n understand their each n every small n big problem.parents r the best councellers,best teachers n best friends.our children should always be realised that they r important parts of our livesnnnwe r always with them
जवाब देंहटाएंnice information ...very good share with us ....keep it up...pravina
जवाब देंहटाएंnice information share with us ...keep it up best of luck pravina
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