बुधवार, 28 दिसंबर 2011

एक  अभिव्यक्ति ----- 


१-अधर नज़दीक थे जब अधरों के , वो पल मुझको ऐसे भाये 
चाहा बहुत रोकना दिल को,चाहत दिल की रोक ना पाए !!

२-गया ठहर समय पल भर को, संगम हुआ जो अधरों का
लगा जेठ के मौसम में , शीतल बयार का एक झोका !!

३-आँखे भी कुछ बोला करती ,शब्द कर सके जो न व्यक्त
आकर के कर दो कुछ ऐसा ,नस -नस में लगे दौड़ता रक्त !!

४-स्पर्श किया हल्का सा तुमने ,लगा दहकता मुझको तन
सोयी चाहत जाग उठी और, व्याकुल हो गया अपना मन

५-स्पर्श प्रथम तेरे अधरों का , विस्मृत ना हो पायेगा
याद आयेगा जब भी वो क्षण , खुमार नया फिर छायेगा !!

3 टिप्‍पणियां:

सखियों आपके बोलों से ही रोशन होगा आ सखी का जहां... कमेंट मॉडरेशन के कारण हो सकता है कि आपका संदेश कुछ देरी से प्रकाशित हो, धैर्य रखना..