गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

महापर्व

आदित्य होखी ना सहाय 😍😍🙏🙏
हमारे बिहार में छठ पर्व को" महापर्व" की संज्ञा दी गई है। चार दिन चलने वाले इस पवित्र व्रत में सुरज देव और छठी मइया की पुजा होती है। चार दिनों चलने वाले इस व्रत की शुरुआत कार्तिक मास की तृतीया तिथि से होती है। 
**😍🙏🙏पहले दिन" नहा खा"कहते हैं। इस दिन सुबह सुबह सारे घर कि सफाई करते हैं, फिर नहाने के बाद सुर्य देव को जल देते हैं। फिर अरवा चावल, चने की दाल और कददू की सब्जी बनाते हैं। घी में ही सब बनाया जाता है। 
**😍🙏🙏दुसरे दिन को खडना  कहते हैं। इस दिन सुबह से व्रती निर्जला रहतीं हैं। दोपहर में लकड़ी के चुल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी या पूरी बनाई जाती है। गोधूलि बेला में केले के पते पर प्रसाद रखा जाता है, घी का दिया जलाते हैं और सुर्य देव को अर्पण करते हैं।। उसके बाद व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करतीं हैं। फिर प्रसाद सब लोगों को दिया जाता है। छठ के गीत गाये जाते हैं । 
**😍🙏🙏तीसरे दिन को पहली अरग कहते हैं। व्रती निर्जला रहतीं हैं। गेहूं को धोकर पवित्रता से सुखाने के बाद पीसा लिया जाता है और गुड़ मेवा मिलाकर घी में तल कर ठेकुआ बनाया जाता है जो इस व्रत का मुख्य प्रसाद होता है।। सारे फलों को धोकर बांस से बनी टोकरी जिसे  दऊरा कहते हैं उसमें सजा दिया जाता है। सुप, परात, सब को फल ठेकुआ सिंदूर फूल से सजा दिया जाता है। शाम होने से पहले ही लोग नदियों तालाबों में जाते हैं। घाट सुंदर सजा होता है। अस्ताचलगामी सुर्य देव को अरग देने व्रती पानी में उतर जाती हैं और हाथों में पान का पता सिंदूर फूल लेकर सुप लेतीं हैं।। सब लोग दुध से धारा गिराते हैं। वरती पुकारे देव दुनो कर जोरीया  🙏🙏पुजन केरा बेरीया 🙏  अरग के रा बेरीया हो🙏🙏इन गीतों से वातावरण गुंज रहा होता है 😍
**😍🙏🙏चौथे और अंतिम दिन भोर में ही फिर से  दऊरा सजा गीत गाते हुए घाट पर जाते हैं।सुर्य उदय होने के पहले ही व्रती पानी में उतर जाती हैं और सुर्य देव का ध्यान करतीं हैं। उनके प्रकट होते ही अरग दिया जाता है। घाट पर घी के दिये जलाये जाते हैं। हवन किया जाता है।। सब को प्रसाद दिया जाता है। उसके बाद ही व्रती अपना व्रत खोलती हैं जिसे "पारन" कहते हैं। 
🙏🙏विशेषता 😍😍🙏🙏1 इस व्रत में बड़े छोटे का भेद भाव मिट जाता है। कोई छूवाछूत की भावना नही रहती। 
2 🙏🙏 ये लोक की पूजा है इसमें कोई मंत्र नहीं होते कोई पंडित की जरूरत नही होती।। इसके गीत ही सब कुछ होते हैं। ॐ सुर्य देवाय नमो 🙏🙏
3😍😍🙏🙏इस पुजा में सामाजिक सदभाव बढता है।।
लेखिका- अनु सिंह

1 टिप्पणी:

सखियों आपके बोलों से ही रोशन होगा आ सखी का जहां... कमेंट मॉडरेशन के कारण हो सकता है कि आपका संदेश कुछ देरी से प्रकाशित हो, धैर्य रखना..