शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

2 टिप्‍पणियां:

  1. नीता जी ,तन्हाई ना हो तो यादो को सहेजना मुश्किल हो जाता है ,भीड़ में तो दमन बचाने से ही फुर्सत नहीं मिलती |

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सखियों आपके बोलों से ही रोशन होगा आ सखी का जहां... कमेंट मॉडरेशन के कारण हो सकता है कि आपका संदेश कुछ देरी से प्रकाशित हो, धैर्य रखना..